नई दिल्ली : 30 मई सोमवार का दिन यानी आज का दिन धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष है। एक साथ तीन त्योहार होने के कारण इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। इस दिन शनि जयंती, वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या एक साथ हैं।
करीब 30 साल बाद ऐसा संयोग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार एक ही दिन ऐसे तीन बड़े व्रत या पूजा पाठ के अवसर कम मिलते हैं। करीब 30 साल बाद आज ऐसा दुर्लभ संयोग बना है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर सोमवती अमावस्या, शनि जयंती और वट सावित्री व्रत एक साथ पड़े हैं।
वट सावित्री व्रत 2022
अखंड सौभाग्य, सुखी वैवाहि जीवन और पुत्रों की प्राप्ति के लिए वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस दिन बरगद के पेड़ की विधि-विधान से पूजा की जाती है। सावित्री ने सत्यवान के प्राण ज्येष्ठ अमावस्या को बचाए थे। इसलिए हर वर्ष इस तिथि को वट सावित्री व्रत रखते हैं।
शनि जयंती 2022
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को कर्मफलदाता शनि देव का जन्म हुआ था। 30 मई को शनि जयंती के अवसर पर आप शनि देव की पूजा करके साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि दोष से राहत पा सकते हैं। शनि जयंती की पूजा सुबह सूर्योदय के बाद से ही कर सकते हैं। हालांकि सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया पूजा पाठ फलदायी माना जाता है।
सोमवती अमावस्या 2022
सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व है। इसलिए गंगा स्नान जरूर करें। अगर आप स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन अपनी योग्यता के अनुसार दान जरूर देना चाहिए। पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं।
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