श्रीलंका की तरह ही पाकिस्तान के दिवालिया होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थिति के कारण ही हाल ही में राजनीतिक उथल-पुथल भी देखने को मिली थी। महंगाई न रोक पाने और गिरती अर्थव्यवस्था के कारण पीटीआई की इमरान खान सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था। लेकिन इमरान खान के बाद भले ही शहबाज शरीफ पाकिस्तान के पीएम बन गए, मगर कंगाल पाकिस्तान के हाल अब भी खस्ता ही हैं।
डॉलर के मुताबिक पाकिस्तानी रुपए का गिरना
पाकिस्तान में डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपए की कीमत करीब 200 हो गई है। 11 अप्रैल को जब शाहबाज शरीफ की गठबंधन सरकार सत्ता में आई थी, तब डॉलर के मुकाबले रुपए 182 रुपए था। इसके बाद इसमें तेजी से गिरावट हुई है।
विदेशी मुद्रा हो रही खाली
आपको बता दें कि विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां है जिसका उपयोग वह जरूरत पड़ने पर अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें।
पिछले आठ हफ्तों में ही स्टेट बैंक से लगभग 6 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा खत्म हो गई है। यानी बैंक के पास विदेशी कर्जों को चुकाने और चालू खाता घाटे की भरपाई के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा का भंडार नहीं है।
चालू खाता घाटा की स्तिथि खराब
पाकिस्तानी के ही अखबार द न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो हफ्तों में पाकिस्तान के डिफॉल्टर होने का खतरा तेजी से बढ़ा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने बताया है कि जून 2022 के अंत से पहले पाकिस्तान पर 4.889 अरब डॉलर का बकाया है।
इधर अनुमान है कि जून के अंत तक पाकिस्तान का चालू खाता घाटा 3 अरब डॉलर हो जाएगा। चालू खाता घाटा इंगित करता है कि कोई देश जितना निर्यात कर रहा है उससे अधिक आयात कर रहा है।
दिसंबर 2017 में पाकिस्तान की सरकार ने एक अरब डॉलर के पाकिस्तान सुकुक बॉन्ड को बेचा था जिस पर 5.625 प्रतिशत ब्याज था लेकिन अब ऐसे बॉन्ड्स पर ब्याज बढ़कर 27 प्रतिशत हो गया है। यह इस ओर इंगित करती है कि पाकिस्तान तेजी से दिवालिया होने के कगार पर जा रहा है। पाकिस्तान डिफॉल्टर होने से खुद को अब बचा नहीं पाएगा। अब अगर कोई पाकिस्तान की बड़े पैमाने पर वित्तीय मदद करेगा तो ही पाकिस्तान दिवालिया होने से बच सकता है।
कोई देश दिवालिया घोषित कैसे होता है
किसी देश को दिवालिया घोषित करना किसी कंपनी के दिवालिया घोषित करने की तरह नहीं है।
कहा जाता है कि किसी भी देश को दिवालिया घोषित करने के लिए एक कानूनी प्रक्रिया होती है। जब कोई देश कर्ज नहीं चुका पाता है तो एक कर्जदार इसकी प्रक्रिया शुरू करता है। दिवालियापन घोषित करने की एक लंबी प्रक्रिया होती है।
जब कोई देश कर्ज चुका नहीं पाता है तो नीतियों में बदलाव करता है। इसके अलावा बॉन्ड की कीमत में बदलाव करने जैसे कदम भी उठाए जाते हैं। इसके बाद भी अगर अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आती है और सभी कोशिशों के बाद कर्ज बढ़ता जाता है और देश उसे चुकाने में असमर्थ होता है तो वो खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर देता है।