गिरिडीह : जिले के तीसरी प्रखंड में एक गांव ऐसा भी है जहां न तो अब तक बिजली पहुंची है, ना सड़क बने हैं और ना ही लोगों को पीने के लिए स्वच्छ पेयजल मिल पा रहा है। शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था भी गांव में नदारद है। गांव का नाम लक्ष्मीबथान है और यह तीसरी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 36 किलोमीटर और गावां प्रखंड मुख्यालय से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। गांव में आदिवासी और हरिजन समाज के लोग रहते हैं। लोगों की आबादी सैकड़ों में है। स्तिथि ऐसी है कि गांव में किसी को इलाज की जरूरत होती है या प्रसव के लिए अस्पताल जाना होता है तो उन्हें खटिए पर चारकंधों के सहारे ले जाया जाता है। आज से लगभग 2 वर्ष पूर्व सुरजी मरांडी नामक एक प्रसूता महिला की इलाज के अभाव में मौत भी हो गई थी जिसके बाद अधिकारी से लेकर नेता सभी लक्ष्मीबथान गांव पहुंचे थे और लोगों को विश्वास दिलाया था कि सुविधा के अभाव में यह आखिरी मौत है। लोगों को अब सारी सुविधाएं मिलेंगी लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि सुविधाएं मिलना तो दूर अब तक गांव की स्थिति में रत्ती भर भी सुधार नहीं हुआ है जिससे इनका जीवन बदहाली में गुजरने को विवश है।