नई दिल्ली: भारत को एक नया राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रूप में मिल गया। द्रौपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च नागरिक पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला बन गई हैं। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव 2022 के लिए भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस यानी NDA ने अपना उम्मीदवार बनाया था। वहीं विपक्ष ने यशवंत सिन्हा को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। द्रौपदी मुर्मू के देश के 15वें राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी उन्हें बधाई देने घर पहुंचे। द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को बड़े अंतर से हराया। द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में 577777 वोट पड़े जबकि यशवंत सिन्हा को 261062 वोट मिले।
भारत की नई राष्ट्रपति बनी द्रौपदी मुर्मू, जानिए कौन है द्रौपदी मुर्मू और क्या है उनकी उपलब्धियां
द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज जिले में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था।उनकी पढ़ाई भुवनेश्वर के रमादेवी वुमेंस कॉलेज से हुई। वह स्नातक हैं। उनके पति श्याम चरण मुर्मू अब इस दुनिया में नहीं हैं। जनपद से शुरुआती शिक्षा पूरी करने के बाद भुवनेश्वर के रामादेवी महिला महाविद्यालय से द्रौपदी मुर्मू ने स्नातक की डिग्री हासिल की। पढ़ाई पूरी होने के बाद एक शिक्षक के तौर पर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की। द्रौपदी मुर्मू ने श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम किया । वर्ष 1997 में उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और उड़ीसा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं।
द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल बनने के साथ ही देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का कीर्तिमान स्थापित किया था। 18 मई 2015 को उन्होंने झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लिया था। कार्यकाल पूरा होने के बाद वह 12 जुलाई 2021 को झारखंड से राजभवन से उड़ीसा के रायरंगपुर स्थित अपने गांव के लिए रवाना हुई थीं और इन दिनों वहीं प्रवास कर रही हैं। उन्होंने 6 साल एक महीने और 18 दिन झारखंड के राज्यपाल के रूप में अपनी सेवा दी। उनका कार्यकाल निर्विवाद रहा था।
इससे पहले द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी थीं। उड़ीसा विधानसभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा था।
झारखंड के प्रथम नागरिक और विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति के रूप में उनकी पारी यादगार रही। विश्वविद्यालयों की पदेन कुलाधिपति के रूप में उनके कार्यकाल में राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपति के रिक्त पदों पर नियुक्ति हुई।
झारखंड राज्य के विश्वविद्यालयों में और कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया केंद्रीयकृत कराने के लिए चांसलर पोर्टल का निर्माण भी द्रौपदी मुर्मू ने ही कराया था।
द्रौपदी मुर्मू नवीन पटनायक सरकार में मंत्री भी रही हैं। उस समय बीजू जनता दल (बीजेडी) और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी।
द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी में एक ऐसा दौर भी आया था जब उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। बात साल 2009 से 2015 के बीच की है। 2009 में द्रौपदी मुर्मू के 25 वर्षीय बेटे की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। वर्ष 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्य हो गई। इस दुख से वह उबर भी नहीं पाई और फिर 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया। दुखों का पहाड़ टूटने के बाद भी द्रौपदी मुर्मू ने मजबूती से हर दुख का सामना किया। उनके जानने वाले कहते हैं कि वह बहुत मजबूत है। द्रौपदी मुर्मू को कठिन हालातों का सामना करना बखूबी आता है।
द्रौपदी मुर्मू की जीत पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया है। पीएम मोदी से लेकर तमाम मंत्री, नेता और उनके शुभचिंतक उन्हें बधाई दे रहे हैं।
यशवंत सिन्हा ने भी ट्वीट कर द्रौपदी मुर्मू को बधाई दी है…
यशवंत सिन्हा ने ट्वीट के माध्यम से कहा, ‘राष्ट्रपति चुनाव 2022 में विजयी होने पर मैं श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को बधाई देता हूँ। देशवासियों को उम्मीद है कि 15वें राष्ट्रपति के रूप में वो बिना किसी भय या पक्षपात के संविधान की संरक्षक के रूप में जिम्मेदारी निभाएंगी।’
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी द्रौपदी मुर्मू को ट्वीट कर बधाई दी। सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा :-
‘देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनने पर आदरणीय श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं । भगवान बिरसा मुंडा और अमर शहीद सिदो – कान्हू की वीर भूमि तथा समस्त झारखण्डवासियों की ओर से आपको जोहार ।’