गिरिडीह : समाहरणालय सभागार में शनिवार को उपायुक्त की अध्यक्षता में बाल संरक्षण तंत्र एवं जिला बाल संरक्षण इकाई की भूमिका पर कार्यशाला का आयोजन किया गया कार्यशाला में गुमशुदा बच्चे, ट्रैफिकिंग ,मिशन वात्सल्य, बाल संरक्षण, बाल श्रम ,किशोर न्याय इत्यादि पर वक्ताओं द्वारा प्रकाश डाला गया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा किशोर न्याय , बालकों की देख-रेख एवं संरक्षण अधिनियम 2015 के तहत बाल संरक्षण के विभिन्न मुद्दों यथा बाल विवाह, बाल श्रम बाल मजदूरी ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण इकाई प्रखंड स्तरीय बाल संरक्षण इकाई पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है जिसमें “बचपन बचाओ आंदोलन” की दिल्ली टीम एवं यूनिसेफ के राज्य स्तरीय बाल संरक्षण की टीम के द्वारा बाल संरक्षण तंत्र को मजबूत करने हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिसमें शिक्षा विभाग, श्रम विभाग, विशेष किशोर पुलिस इकाई , बाल संरक्षण पदाधिकारी, मिशनरी ऑफ चैरिटी चाइल्ड लाइन आदि के प्रतिनिधि को प्रशिक्षण दिया जा रहा है ।
उपायुक्त ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य है कि विभिन्न विभागों, संस्थाओं को उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों की कानूनी प्रावधान की जानकारी दी जाए , साथ ही उनके तकनीकी पक्ष एवं सामाजिक मूल्यों की जानकारी भी उन्हें प्रदान की जाए। उन लोगों को किसी भी कार्य में कानूनी एवं सामाजिक परिपेक्ष में देखने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके लिए आज सभी संबंधित विभाग एवं एनजीओ तथा अन्य स्टेकहोल्डर्स को कार्यशाला में प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए पुलिस अधीक्षक ने कहा कि प्रशिक्षण काफी लाभदायक होगा बच्चों, किशोरों से संबंधित मामले काफी संवेदनशील होते हैं। बच्चों, किशोरों का यदि शोषण होता है तो उन्हें कानूनी मदद के साथ-साथ सामाजिक सहयोग की भी आवश्यकता होती है ताकि उनकी स्थिति सामान्य हो सके एवं उनको समाज की मुख्यधारा में लाया जा सके।
कार्यशाला में आज संबंधित पदाधिकारियों, संस्थाओं को विभिन्न मामलों पर उनके रूल्स , रेगुलेशन के साथ-साथ सामाजिक आर्थिक पहलू पर भी जानकारी प्राप्त होगी की किस प्रकार एक शोषित बच्चों को चाइल्ड फ्रेंडली वातावरण में समुचित सुविधा दी जा सके।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए “बचपन बचाओ आंदोलन” के श्री ओम प्रकाश पाल ने कहा कि गुमशुदा बच्चे, ट्रैफिकिंग, बाल मजदूरी ,बाल विवाह आदि पर आज चर्चा की जा रही है। ट्रैफिकिंग के मामले में झारखंड टॉप 5 राज्यों में है, जहां सबसे ज्यादा ट्रैफिकिंग होती है। उन्होंने बताया कि डाटा एनालिसिस में पाया गया कि गुमशुदा बच्चे एवं किशोर घरों में काम कर रहे हैं, बंधुआ मजदूर के रूप में कार्य कर रहे हैं और देश-विदेश भेजे जा रहे हैं इसी तरह उनके अंगों का व्यापार किया जा रहा है तथा उनको देह व्यापार में लगाया जा रहा है।
कहा गया कि आरटीआई में पाया गया कि 1,17,480 बच्चे गुमशुदा हैं जिनकी सूचना पुलिस को है लेकिन उन FIR नहीं की गई है। न्यायाधीश अल्तमस कबीर के द्वारा जजमेंट दिया गया कि गुमशुदा बच्चों के मामलों में पुलिस तुरंत FIR करे तथा 4 महीने तक अपने स्तर पर खोजबीन करे अगर बच्चा प्राप्त नहीं हुआ तो IPC 370 के तहत कार्रवाई होगी।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए “बचपन बचाओ आंदोलन ” की कविता सुरभि ने कहा कि गुमशुदा बच्चों के मामलों पर तुरंत F.i.r होनी है , साथ ही उन मामलों को Track child पोर्टल पर भी डालना है , साथ ही एसओपी भी बनाना है कि किस प्रकार पुलिस, एनजीओ, बाल संरक्षण इकाई, अन्य स्टेकहोल्डर्स समन्वय के साथ कार्य कर सकें।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए “बचपन बचाओ आंदोलन” की संगीता गौर ने मिशन वात्सल्य के बारे में जानकारी दी कि किस प्रकार शोषित बच्चे को कानूनी, शैक्षणिक सामाजिक क्षेत्र में लाभ पहुंचाया जाए तथा सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी एवं उसका लाभ पहुंचा कर उनका सर्वांगीण विकास कर उन्हें मुख्यधारा में लाया जाए।
किशोर न्याय अधिनियम की जानकारी देते हुए JJA के अधिकारी प्रीति श्रीवास्तव ने बताया कि अधिनियम के तहत अपराध,दण्ड और जुर्माना जो इस प्रकार है :-
● धारा 14 (1) – बच्चे को कार्य पर लगाना या किसी कार्य को करने के लिए बच्चों को अनुमति देना ।
● माता-पिता या अभिभावकों को केवल तब तक छूट दी जा सकती है जब वह बच्चें को वाणिज्यिक उद्येश्यों लिए काम करने की अनुमति नहीं देते हैं । जिसके तहत दंड कम से कम 6 माह की अवधि का कारावास, जिसे 2 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और कम से कम 20, 000 रुपये तक का जुर्माना जिसे 50,000 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
● धारा 14 (1क) – किसी किशोर को काम पर लगाना या किसी कार्य को करने के लिए किशोर को अनुमति देना।
● माता पिता या अभिभावकों को केवल तब तक तो छूट दी जा सकती है जब तक वह खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में कार्य करने के लिए किशोर को अनुमति नहीं देते जिसके तहत दंड कम से कम 6 माह की अवधि का कारावास , जिसे 2 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और कम से कम 20,000 रुपये तक का जुर्माना जिसे 50,000 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
● धारा 14 (1ख) – यदि बच्चे एक किशोर के माता-पिता / अभिभावकों द्वारा यह अपराध पहली बार किया जाता है l
— कोई दण्ड नहीं।
● बच्चे और किशोर दोनों के मामले में यदि अपराध दोहराया जाता है तो कम से कम 1 वर्ष के लिए कारावास का दंड जिसकी अवधि 3 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।
● यदि माता-पिता/अभिभावकों द्वारा यह अपराध फिर से किया जाता है तो कोई दंड नहीं पर जुर्माना जिसे 10,000 रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने कहा गिरिडीह जिला में बाल विवाह को रोकना है जिसके लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत बाल विवाह क्या है ?
बाल विवाह का अर्थ ऐसा विवाह है , जिसमें दूल्हा या दुल्हन एक बच्चा है। बच्चा एक ऐसा व्यक्ति है , जो – यदि महिला है – उसने 18 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है और यदि पुरुष है उसने 21 वर्ष की आयु पूरी नहीं की है।
शिकायत कौन कर सकता है ?
कोई भी व्यक्ति , जिसे से इस बात का पता है या विश्वास करने का कोई कारण है कि बाल विवाह होने वाला है , शिकायत कर सकता है।
कहां रिपोर्ट करें ?
सीoएमoपीoओo (बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी) , चाइल्डलाइन -1098 , पुलिस -100 , महिला हेल्पलाइन , राष्ट्रीय महिला आयोग , जिला अधिकारी , प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट का न्यायालय।
क्या किया जा सकता है यदि बाल विवाह निकट भविष्य में होने वाला है , वर्तमान में हो रहा है ,या पहले ही हो चुका है।
यदि बाल विवाह निकट भविष्य में होने वाला है तो –
1. उन बच्चे के घर जाये जिनका विवाह होने जा रहा है और उनके माता-पिता को बताएं कि बाल विवाह एक दंडनीय अपराध है तथा उन्हें सलाह दे कि विवाह का आयोजन ना करें l
2. अभिभावकों/रिश्तेदारों/समुदाय के बुजुर्गों से बात करें तथा उन्हें जागरूक करें और कोशिश करके उन्हें इस बात के लिए सहमत करें कि वह बाल विवाह के खिलाफ जा सके l
3. बच्चों से बात करने की कोशिश करें , बच्चे को बाल विवाह के दुष्परिणामों से अवगत कराएं और बच्चे को बताएं कि बाल विवाह की उचित उम्र से कम उम्र में विवाह ना करना उनका अधिकार है l
4. बाल विवाह के खिलाफ माता-पिता को समझाने के लिए पंचायत , स्थानीय नेताओं , शिक्षकों , सरकारी अधिकारियों , लोक सेवकों या स्थानीय एनजीओ की सहायता ले l
5. पुलिस को शिकायत करें और पुलिस की सहायता से अपराधी को गिरफ्तार करें l पुलिस के पास अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 151 के तहत शक्तियां है ताकि संज्ञेय अपराध को रोकने के लिए गिरफ्तारी कर सके l
6. जैसा कि आपको पता चले कि बाल विवाह किया जा रहा है या होने वाला है , निकटतम पुलिस स्टेशन को सूचित करें l पुलिस हर थाने में बनाई गई दैनिक डायरी में एक प्रविष्टि करती है और एक एफoआईoआरo दर्ज करती है।
धन्यवाद ज्ञापन जिला समन्वयक नीति आयोग अंजलि बिन सिकदर ने दिया।
कार्यशाला में पुलिस अधीक्षक, उप विकास आयुक्त, पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय ,सभी अनुमंडल पदाधिकारी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी , सभी अंचल अधिकारी, सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, बाल संरक्षण के पदाधिकारी , जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी, जिला शिक्षा पदाधिकारी, विभिन्न एनजीओ के पदाधिकारी, यूनिसेफ के पदाधिकारी , बाल कल्याण पुलिस अधिकारी तथा अन्य संबंधित पदाधिकारी उपस्थित थे।