रांची : दुनिया में मंकीपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। अब तक 75 देशों तक पहुंच चुके मंकीपॉक्स ने चिंता बढ़ा दी है। इसको लेकर डब्ल्यूएचओ ने भी ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है। भारत में भी मंकीपॉक्स के 4 मामलों की पुष्टि हुई है वहीं कुछ मामले संदिग्ध है। चारों संक्रमित पुरुष हैं और सभी की उम्र 35 साल या उससे कम है। उत्तराखंड , दिल्ली, यूपी, मध्य प्रदेश, झारखंड आदि राज्यों ने मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी किया है।
हालांकि झारखंड में फिलहाल मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। फिर भी झारखंड में एहतियाती कदम उठाते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों को अलर्ट कर दिया है । स्वास्थ्य विभाग के द्वारा सभी जिले के सिविल सर्जन को एडवाइजरी भी जारी की गई है और आइसोलेशन वार्ड बनाने का निर्देश दिया गया है। विदेश से यात्रा कर लौटे लोगों से 21 दिन के अंदर मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाकर जांच कराने की अपील की गई है।
इधर आइसोलेशन वार्ड तैयार करने की कवायद भी शुरू कर दी गई है। रांची सदर अस्पताल में चौथे और पांचवे तल्ले पर आइसोलेशन वार्ड बनाया जाएगा।
क्या है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स, वायरस के संक्रमण से होने वाली दुर्लभ बीमारी है। इसकी पहचान सबसे पहले 1958 में की गई थी। पहला मामला बंदर में संक्रमण के रूप में सामने आया था। इंसानों में इस वायरस का पहला मामला साल 1970 में सामने आता । 2003 में अमेरिका में इसके मामले सामने आए थे।
क्या हैं लक्षण
मंकीपॉक्स से संक्रमित रोगी को संक्रमण के बाद 5 से 21 दिनों के बीच इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं। पहले बुखार, सुस्ती, सिरदर्द और लिम्फ नोड्स में सूजन जैसे लक्षण दिख सकते हैं । जिसके बाद त्वचा पर दानें और चकते पड़ने लगते हैं जो सुख कर बाद में गिर जाते हैं। शरीर के अन्य हिस्सों में भी रैशेज नजर आते हैं।
इस बीमारी के लक्षण वाले मरीजों का सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा जाता है। भारत में यही एकमात्र लैब है, जहां मंकीपॉक्स के संदिग्धों के सैंपल की टेस्टिंग होती है और संक्रमण की पुष्टि होती है।
कैसे फैलता है संक्रमण
- मंकीपाक्स वायरस त्वचा, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
- मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों के काटने, उन्हें छूने आदि से फैलता है। आमतौर पर कुत्ते बंदर और गिलहरी से यह फैलता है।
- मंकीपॉक्स से संक्रमित जानवरों द्वारा उपयोग किए गए बिस्तर से भी इसका संक्रमण फैल सकता है।
- इससे संक्रमित व्यक्ति भी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है।
- मंकीपॉक्स संक्रमण वाले करीब 98% मरीज समलैंगिक पुरुष या बाईसेक्सुअल पुरुष हैं।
क्या है इलाज
मंकीपॉक्स के इलाज के लिए विशेष रूप से कोई दवा विकसित नहीं की गई है। हालांकि चेचक का टीका मंकीपॉक्स के संक्रमण को रोकने में 85 प्रतिशत प्रभावी माना जाता है।
मौत भी हो सकती है
ज्यादातर मामलों में, मंकीपॉक्स के लक्षण कुछ ही हफ्तों में दूर हो जाते हैं। हालांकि कई मामलों में ये गंभीर भी हो सकता है और संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण की मृत्यु दर 1% से 10% तक है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार मंकीपॉक्स वायरस का व्यवहार कोरोना वायरस से बिल्कुल अलग है और इसके महामारी में तब्दील होने की संभावना भी नहीं है। इसलिए आपको परेशान नहीं होना है लेकिन लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना है।


