गिरिडीह : बरगंडा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में दो दिवसीय हजारीबाग विभाग का शिशु वाटिका कार्यशाला का समापन रविवार को हो गया। समापन सत्र का उद्घाटन विभाग प्रमुख ओम प्रकाश सिन्हा, तुलसी प्रसाद ठाकुर, प्रधानाचार्य शिवकुमार चौधरी एवं शिशु वाटिका प्रमुख रश्मि कुमारी ने संयुक्त रुप से दीप जलाकर व पुष्प अर्पित कर किया। कार्यशाला में हजारीबाग विभाग के 10 विद्यालय के 28 आचार्य-दीदी ने रश्मि कुमारी के निर्देशन में दो दिनों तक शिशु वाटिका के विभिन्न पहलुओं पर क्रियात्मक और खेल विधि से बच्चों की सिखाने की कला का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
मौके पर तुलसी प्रसाद ठाकुर, विभाग प्रमुख जमशेदपुर ने कहा कि शिशु वाटिका का अर्थ है आनंद, प्रमोद युक्त व्यवहारिक शिक्षा देना। गर्भाधान से 5 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा जीवन के विकास की एक प्रक्रिया है जो परिवार से शुरू होती है।खेल,गीत,कथाकथन,भाषा कौशल,विज्ञान अनुभव, रचनात्मक कार्य, हस्तकला आदि के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करना है। बच्चों में संस्कार का क्षेत्र जीवन विकास की नींव है। यह संपूर्ण जीवन यात्रा का स्तंभ है। विद्या भारती ने अपने शिशु वाटिका में 12 शैक्षिक व्यवस्थाएं की हैं जिसमें चित्र,पुस्तकालय, प्रयोगशाला,चिड़ियाघर,क्रीड़ांगन, बागीचा प्रदर्शनी,तरणताल,रंगमंच प्रयोगशाला,वस्तु संग्रहालय,घर और कलाशाला आता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी बाल आधारित एवं बस्ता बोझ से मुक्त शिक्षा का वर्णन किया है।
रश्मि कुमारी ने कहा कि विद्यालय में खेल-खेल के माध्यम से बच्चों को अक्षर ज्ञान, दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाली वस्तुओं की पहचान करवाना ,ठप्पा से आकृति बनवाना,चित्र बनाना,अंक चार्ट बनाना आदि कार्यो की शिक्षा प्रारंभ काल से दी जानी चाहिए।
प्रधानाचार्य शिवकुमार चौधरी ने कहा कि दो दिनों तक चलने वाले कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थियों ने शिशु वाटिका निमित जो प्रशिक्षण प्राप्त किए हैं वे अपने-अपने विद्यालय में लागू करें ताकि बच्चों में मानसिक,शारीरिक एवं बौद्धिक विकास हो सके। वंदे मातरम के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।