Monday, December 23, 2024
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नई दिल्ली : विरोध के बाद अग्निपथ योजना में सरकार ने किया बड़ा बदलाव, बढ़ गई उम्र सीमा, अब 23 वर्ष…

नई दिल्ली : अग्निपथ योजना के विरोध और आंदोलन के बीच केंद्र ने बड़ा फैसला लिया है। भर्ती के लिए अधिकतम आयु सीमा को 21 वर्ष से बढ़ाकर अब 23 वर्ष कर दिया गया है। हालांकि ये छूट केवल इसी साल यानी 2022 की भर्ती प्रक्रिया में ही लागू होगी। पिछले दो वर्षों में कोई भर्ती नहीं होने के कारण यह निर्णय लिया गया है।

रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार अग्निपथ योजना की शुरूआत के परिणामस्वरूप, सशस्त्र बलों में सभी नए रंगरूटों के लिए प्रवेश आयु साढ़े 17-21 वर्ष निर्धारित की गई है। सरकार ने फैसला किया है कि 2022 के लिए प्रस्तावित भर्ती चक्र के लिए एकमुश्त छूट दी जाएगी।

क्या है अग्निपथ

गौरतलब है भारत सरकार ने मंगलवार को थल सेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती के लिए एक नई ‘अग्निपथ योजना’ का ऐलान किया था। इसके तहत सशस्त्र बल 46,000 ‘अग्निवर’ की भर्ती करेगी यानी साढ़े 17 से 21 साल के युवाओं को मेरिट और शारीरिक दक्षता के आधार पर सेना में अल्पकालिक नौकरी मिलेगी। हालांकि दो साल से भर्ती नहीं होने के कारण इस साल के लिए अधिकतम आयु सीमा 23 कर दी गई है। नौकरी 4 साल के लिए होगी। इनमें से 25 फीसदी युवाओं को परमानेंट किया जाएगा। सेवा अवधि में जो अग्निवीर रहेंगे उन्हें इन हैंड सैलरी 21 से 28 हजार तक मिलेगा। अग्निवीर का 48 लाख रुपये का लाइफ इंश्योरेंस कवर होगा। इसके लिए उन्हें अपनी सैलरी से कोई योगदान नहीं देना होगा। लाइफ इंश्योरेंस कवर के अलावा सर्विस के दौरान मौत हो जाने पर 44 लाख रुपये का एक्स ग्रेशिया भी मिलेगा। साथ ही जितनी सर्विस बची होगी उसकी सैलरी और उस बचे वक्त की सेवा निधि का हिस्सा भी मिलेगा। विकलांग होने पर सर्विस से बाहर हुए तो विकलांगता के आधार पर वन टाइम की आर्थिक मदद का प्रावधान होगा। सेवा अवधि समाप्त होने पर अग्निवीरों को 11 लाख 71 हजार रुपए देकर सेवा निवृत्ति दी दे जाएगी। अग्निवीरों को सेना के परमानेंट जवानों की तरह रिटायरमेंट के बाद न ही पेंशन मिलेगी और न एक्स सर्विसमैन वाली दूसरी सुविधाएं, जैसे- मिलिट्री कैंटीन और मेडिकल सुविधाएं वगैरह।

युवाओं का विरोध 

देश के कई हिस्सों में गुरुवार को अग्निपथ स्कीम के विरोध में युवाओं ने प्रदर्शन किया था। 
युवाओं के कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि सिर्फ़ चार साल के लिए ही भर्ती क्यों की जा रही है। सेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत भी कम से कम 10 से 12 साल की सर्विस होती है और आंतरिक भर्तियों में उन सैनिकों को मौका भी मिल जाता है। लेकिन ‘अग्निपथ योजना’ में चार साल की नौकरी के बाद 75 पर्सेंट युवाओं को बाहर का रास्ता देखना ही पड़ेगा। इसके बाद वो कहां जाएंगे । इन्हीं 4 वर्षों में उन्हें महीनों प्रशिक्षण लेना होगा और इसमें छुट्टियां भी शामिल हैं। ऐसे में देश की सेवा कब करेंगे। युवा सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। कहा कि चार साल से ज्यादा समय से तो वे मेहनत ही करते हैं, सालों मेहनत के बाद युवा 4 साल की ही नौकरी क्यों लें? सरकार को टीओडी वापस लेना चाहिए। युवाओं को 4 साल की भर्ती नहीं चाहिए। 
युवाओं ने ये भी कहा कि 2020 में भर्ती के लिए फिजिकल और मेडिकल टेस्ट में सफल युवाओं की लिखित परीक्षा ली जानी चाहिए। नई बहाली प्रक्रिया के तहत अगले वर्ष नियुक्ति की प्रक्रिया होनी चाहिए। कहा कि लिखित परीक्षा को कोरोना के कारण स्थगित कर दिया गया था और अब पुरानी नियुक्ति प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया गया। ऐसे में कई युवाओं की उम्र 21 साल से अधिक हो गई है। इस वजह से वे अब सेना भर्ती के उम्मीदवार नहीं बन पाएंगे और इनका भविष्य खराब हो जाएगा। हालांकि सरकार ने अब अधिकतम आयु सीमा 23 वर्ष कर दी है। अग्निवीरों को सेना के परमानेंट जवानों की तरह रिटायरमेंट के बाद न ही पेंशन मिलेगी और न एक्स सर्विसमैन वाली दूसरी सुविधाएं, जैसे- मिलिट्री कैंटीन और मेडिकल सुविधाएं वगैरह।

सरकार का क्या है कहना

सरकार ने इस योजना को काफी लाभकारी बताया है। सरकार का कहना है कि इस नई योजना से न तो सेना की रेजीमेंट व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव होने जा रहा है और न ही सेना की क्षमता पर ही कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ने वाला है। यह योजना सेना के साथ ही युवाओं के लिए बहुत लाभकारी साबित होगी, क्योंकि चार साल की सेवा के बाद मिले आर्थिक पैकेज से युवाओं के सामने अपने भविष्य को संवारने के कई विकल्प होंगे। 75 प्रतिशत अग्निवीरो के सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें कई राज्यों के फोर्स या फिर अर्धसैनिक बलों में नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी। संबंधित विभागों में नौकरी के लिए आरक्षण दिया जाएगा। 

नई योजना ‘अग्निपथ’ को लेकर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि गृह मंत्रालय ने इस योजना में 4 साल पूरा करने वाले अग्निवीरों को CAPFs और असम राइफल्स में भर्ती में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया कि अग्निपथ योजना के तहत सेवा के चार साल बाद यूपी सरकार पुलिस और अन्य संबंधित सेवाओं में प्राथमिकता देगी।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि भारतीय सेना में शॉर्ट टर्म एग्रीमेंट के आधार पर अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए गए जवानों को राज्य पुलिस की भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी।

असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि जो लोग 4 साल बाद ‘अग्निवीर’ की जॉब से वापस आएंगे, उन्हें असम आरोग्य निधि पहल में प्राथमिकता दी जाएगी।

अग्निपथ योजना पर रक्षा विशेषज्ञ

केंद्र की इस नई योजना पर रक्षा क्षेत्रों से जुड़े एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय है। कुछ ने इसे सकारात्मक और लाभकारी बताया है। कहा गया कि देश को युवा सैन्य शक्ति मिलेगी और 25 प्रतिशत श्रेष्ठ अग्निवीरों को परमानेंट किया जाएगा। बाकी 75 प्रतिशत कम उम्र में ही शारीरिक, आर्थिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से मजबूत हो जाएंगे। इन्हें कई अन्य स्थाओं पर नौकरी में प्राथमिकता दी जाएगी। जबकि कइयों ने इसके विरोध में भी राय दी है। रिटायर्ड मेजर जनरल अश्विनी सिवाच ने कहा कि सेना में किसी को सिर्फ चार साल के लिए शामिल करना पर्याप्त नहीं है। चार साल में छह महीने तो ट्रेनिंग में निकल जाएंगे। इन्फैंट्री में काम करने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग की भी जरुरत पड़ती है।जब तक वो ठीक रूप से तैयार होंगे तब तक वो रिटायर्ड हो जाएंगे। कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस योजना से ना सिर्फ युवाओं को नुकसान होगा, बल्कि सेना की गोपनीयता भी भंग हो सकती है। वहीं कुछ ने कहा कि हमें रूस यूक्रेन युद्ध से सीख लेना चाहिए। रूस की सेना कुछ सालों के लिए ही सेवा देती है । रूस की अल्पकालिक सैन्य व्यवस्था के कारण रूसी सेना यूक्रेन पर आसानी से कब्जा नहीं कर सकी। 4 साल की नौकरी से युवाओं में वो जज्बा नहीं आएगा। उन्हें इस बात कि चिंता रहेगी कि चार साल बाद उनका क्या होगा।

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