छात्राओं को संबोधित करते योगेश पांडेय |
गिरिडीह : विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर जमुआ प्रखंड के कारोडीह स्थित कस्तुरबा गाँधी बालिका विद्यालय में रविवार को जिला विधिक सेवाएं प्राधिकार व राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन वार्डन शैलबाला कुमारी की अध्यक्षता में किया गया।
इस दौरान एनएचआरसीसीबी जिलाध्यक्ष योगेश कुमार पाण्डेय ने छात्राओं को बाल श्रम अधिनियम की जानकारी देते हुए कहा कि भारत सविधान के अनुसार किसी उद्योग ,कारखाने में शारीरिक एवं मानसिक रुप से काम करने की उम्र 5-14 वर्ष होने पर इसे बालश्रम कहा जाता है। माता-पिता का असंतोष, लालच, अशिक्षित होना बाल श्रम जैसे अपराध को बढ़ावा देता है। अशिक्षित अभिभावक अपने बच्चे की शिक्षा एवं विकास को महत्व नहीं देते ।इसलिए थोड़ी-सी सुविधा या लोभ में वह अपने बच्चों को पढ़ाने से रोक देते हैं। ग्रामीण भारत में छोटी उम्र में विवाह कर देने से घर की जिम्मेवारी श्रमिक बना देती है। भारत में बालश्रम काफी विस्तृत रूप ले चुका है। बाल मजदूरी अब तस्करी का विकराल रूप धारण कर चुकी है। जिन हाथों में कलम और कॉपी होनी चाहिए उन हाथों में झाड़ू ,चाक़ू नजर आते हैं।
पीएलवी सुबोध कुमार साव ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि बालश्रम पर लगाम लगाने के लिए कई संवैधानिक प्रावधान हैं।
- अनुच्छेद 15(3): बाल श्रम एक ऐसा विषय है, जिस पर संघीय व राज्य सरकारें, दोनों कानून बना सकती हैं।
- अनुच्छेद 21: 6-14 साल के बच्चो को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाएगी (धारा 45)
- अनुच्छेद 23:बच्चो को खरीद फरोक पर रोक लगात है बच्चो को खरीद फरोक पर रोक लगाता है ।
- अनुच्छेद-24 किसी फैक्ट्री, खान, अन्य संकटमय गतिविधियों यथा-निर्माण कार्य या रेलवे में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध करता है।
- बाल श्रम (निषेध और रोकथाम) संशोधन अधिनियम(2016) – अधिनियम 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को सभी प्रकार के व्यावसायिक कामों पर लगाने पर प्रतिबंध लगाता है। 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा तथा उस पर 50,000 रुपये का अधिकतम जुर्माना लगेगा।
पीएलवी हीरा देवी ने कहा कि नए कानून में बच्चों के लिये रोज़गार की आयु को ‘अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ , 2009 के तहत अनिवार्य शिक्षा की उम्र से जोड़ा गया है। खेलने-कूदने और पढ़ने की उम्र में मजबूरी के बीच दबा देश का बचपन समाज पर एक कलंक है। कारखानों और घरों में दयनीय परिस्तिथियों में काम करने वाले ये बाल-श्रमिक देश की प्रगति के मुँह पर एक तमाचा हैं। इनकी संख्या करोड़ो में है। इन्हे सिर्फ काम ही नहीं करना पड़ता बल्कि अपने मालिकों की गाली, प्रताड़ना का सामना करता पड़ता है बाल श्रमिक युवा पीड़ी के मुकाबले सस्ते दाम पर मिल जाते है। बच्चे देश का भविष्य है ये प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है की उनका ध्यान रखे ।
पीएलवी सहदेव साव , मुकेश कुमार वर्मा ने कहा कि बाल श्रमिकों की समस्या बहुत पुरानी है। इसके पीछे गरीबी के साथ ही माँ बाप का लोभ और पारिवारिक परिस्थिति कारण होती है। बाल श्रम गरीबी, बेरोज़गारी, अशिक्षा, जनसँख्या वृद्धि और अन्य सामाजिक समस्याओं को बढाता है।आज बालश्रम निषेध दिवस के दिन हम सबको ये शपथ लेनी चाहिए कि अगर किसी बालक पर अत्याचार या उसके साथ दुर्व्यवाहर होते देखे तो तुरंत मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाएं। चाईल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 पर कॉल करें।
मौके पर एनआरसीसीबी जिलाध्यक्ष योगेश कुमार पाण्डेय,पीएलवी सुबोध कुमार साव,सहदेव साव,हीरा देवी,मुकेश वर्मा, छात्राएं सहित अन्य लोग मौजूद थे।